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June 10, 2025
Written by
Baba Ji Ki Buti
आधुनिक जीवनशैली में सबसे अनदेखा किया गया संकेत
आज की दौड़ती-भागती ज़िंदगी में पीठ दर्द एक आम समस्या बन चुकी है। ऑफिस में घंटों बैठकर काम करना, फोन और लैपटॉप की गलत पोज़िशन, नींद की कमी, और तनाव — ये सभी कारण धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी पर असर डालते हैं। पहले यह समस्या 40 की उम्र के बाद देखी जाती थी, अब 20 की उम्र में ही लोग chronic back pain से जूझ रहे हैं।
पीठ दर्द के प्रमुख कारण:
- गलत मुद्रा में लंबे समय तक बैठना या खड़ा रहना
- बार-बार झुकने की आदत या भारी वजन उठाना
- कमर की मांसपेशियों की कमजोरी
- विटामिन D या कैल्शियम की कमी
- स्लिप डिस्क, सायटिका जैसी मेडिकल स्थितियाँ
- नींद की खराब गुणवत्ता
- भावनात्मक तनाव और मानसिक दबाव
आयुर्वेद में पीठ दर्द की व्याख्या
आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में वात दोष असंतुलित होता है — तो वो हड्डियों, नसों और जोड़ों पर असर डालता है। इससे पीठ में stiffness, जलन और दर्द उत्पन्न होता है। वात को संतुलित करने के लिए पंचकर्म, अभ्यंग (तेल मालिश), और बस्ती (औषधीय एनिमा) जैसी थेरेपीज़ का उल्लेख किया गया है।


घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय:
- दशमूल क्वाथ का सेवन: वात और सूजन को शांत करता है। दिन में दो बार सेवन फायदेमंद होता है।
- कंटेंट्रेटेड हर्बल ऑयल से अभ्यंग: नित्य 10 मिनट तक कमर की मालिश करें — विशेष रूप से माश तेल या नारायण तेल से।
- हल्का योग व व्यायाम: भुजंगासन, मार्जारीआसन और वज्रासन जैसे आसान पीठ को मजबूती देते हैं।
- गुनगुने पानी से स्नान: स्नान के बाद सेंधा नमक डालकर कमर पर सेक करने से सूजन कम होती है।
- कैल्शियम व हड्डी मज़बूत करने वाले आहार: तिल, बादाम, पपीता, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ और घी का सीमित मात्रा में सेवन करें।
How Baba Ji Ki Buti Can Help
Ayurveda कोई trend नहीं, ek tested life science है — aur Baba Ji Ki Booṭī usi को revive karta है.
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