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June 10, 2025
Written by
Baba Ji Ki Buti
जब अस्पताल से छुट्टी मिलती है, असली इलाज तब शुरू होता है
स्ट्रोक एक ऐसा अनुभव है जो न सिर्फ शरीर को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे परिवार को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से झकझोर देता है। भारत में स्ट्रोक के बाद की देखभाल अक्सर परिवार पर छोड़ दी जाती है, जहां संसाधनों की कमी, जानकारी की सीमितता और विशेष देखरेख की अनुपस्थिति से मरीज की रिकवरी रुक जाती है।
स्ट्रोक के बाद की आम समस्याएं:
- शरीर के एक हिस्से में कमजोरी या लकवा
- बोलने, समझने या याद रखने में दिक्कत
- डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन या आत्मविश्वास की कमी
- संतुलन की समस्या और चलने-फिरने में डर
- पेशाब/शौच पर नियंत्रण न रहना
आयुर्वेद का दृष्टिकोण
आयुर्वेद में स्ट्रोक को “पक्षाघात” या “Pakshaghat” कहा गया है, जो वात दोष के असंतुलन से होता है। शरीर का एक भाग ऊर्जा प्रवाह के अभाव में काम करना बंद कर देता है। इसका इलाज सिर्फ बाहरी रूप से नहीं बल्कि मानसिक और अंदरूनी शक्ति को संतुलित करके किया जाता है।


रिकवरी की कुंजी: समर्पित पुनर्वास + आंतरिक शुद्धिकरण
- नाड़ी परीक्षण और वैद्यकीय परामर्श: हर मरीज की समस्या अलग होती है — इसलिए इलाज भी व्यक्तिगत होना चाहिए। आयुर्वेद में नाड़ी परीक्षण के ज़रिये असली कारणों की पहचान की जाती है।
- पंचकर्म और बस्ती चिकित्सा: शरीर के भीतर के दोषों को निकालना, मन को शांत करना और तंत्रिकाओं को पुनः सक्रिय करना — यह पंचकर्म का मूल उद्देश्य है।
- अभ्यंग (तेल मालिश) और पिंडस्वेद: औषधीय तेलों से की गई मालिश और पसीना दिलाने वाली थेरपी नसों को सक्रिय करती है और rigidity कम करती है।
- आहार और औषधि: दिमाग को मज़बूती देने वाले आहार — जैसे गोदुग्ध, मेवे, त्रिफला, ब्राह्मी आदि के साथ आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग फायदेमंद होता है।
How Baba Ji Ki Buti Can Help
Ayurveda कोई trend नहीं, ek tested life science है — aur Baba Ji Ki Booṭī usi को revive karta है.
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