स्ट्रोक के बाद की देखभाल और न्यूरोलॉजिकल रिकवरी

Ayurvedic Solutions

जब अस्पताल से छुट्टी मिलती है, असली इलाज तब शुरू होता है

स्ट्रोक एक ऐसा अनुभव है जो न सिर्फ शरीर को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे परिवार को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से झकझोर देता है। भारत में स्ट्रोक के बाद की देखभाल अक्सर परिवार पर छोड़ दी जाती है, जहां संसाधनों की कमी, जानकारी की सीमितता और विशेष देखरेख की अनुपस्थिति से मरीज की रिकवरी रुक जाती है।

स्ट्रोक के बाद की आम समस्याएं:

आयुर्वेद का दृष्टिकोण

आयुर्वेद में स्ट्रोक को “पक्षाघात” या “Pakshaghat” कहा गया है, जो वात दोष के असंतुलन से होता है। शरीर का एक भाग ऊर्जा प्रवाह के अभाव में काम करना बंद कर देता है। इसका इलाज सिर्फ बाहरी रूप से नहीं बल्कि मानसिक और अंदरूनी शक्ति को संतुलित करके किया जाता है।

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